Saturday, August 16, 2008

स्‍व तंत्र और स्‍वतंत्रता को कैसे समझे नवयुवक

मौजूदा संदर्भ में स्‍व तंत्र, स्‍वयं विकसित किये गये तंत्र और वास्‍तविक स्‍वतंत्रता का मतलब आज के युवा कैसे समझे. हद हो गयी शुक्रवार को, बीते 15 अगस्‍‍त के दिन. राजधानी पटना से 60 किलोमीटर की दूरी तय करने के दौरान न तो राजधानी में न तो रास्‍ते में और न ही 60 किलोमीटर दूर स्थित शहर में कहीं भी लाउडस्‍पीकर पर किसी कोने से देशभक्ति गीतों के स्‍वर सुनाई दिये. अपनी स्‍वतंत्रता के इस गौरवपूर्ण दिन को लेकर, राष्‍ट्रीय स्‍वाभिमान को लेकर ऐसी खोमीशी इससे पूर्व मैने अपने छोटे से जीवन में कभी नही देखी. इसलिए इस बात को आमलोगों के बीच पहुंचाने के लिए बाध्‍य हो गया. हमने जो अपने तंत्र विकसित कर लिये है उसमें कही से भी स्‍वतंत्रता का कोई मतलब नहीं रह गया है. भारतीय चिंतन पद्वति के अनुसार वैसे भी इस धरा पर कोई भी पूर्णतया स्‍वतंत्र नहीं है, सब ईश्‍वर, एक दिव्‍यशक्ति के नियंत्रणाधीन है.अगर बात ऐसी है तो कोई बात नहीं है.

1 comment:

संगीता पुरी said...

पहलेवाली बात रह ही नहीं गयी है। एक स्थान पर तो झंडे को उल्टा ही फहराया गया था।