Monday, August 11, 2008

व्‍याकरण की भूलें व हास्‍य परिहास

कभी कभी व्‍याकरण की छोटी छोटी भूले हिंदी लेखन को हास्‍यास्‍पद बना देती है. माना कि कंप्‍यूटर के की बोर्ड पर कई बार उगंलियां अक्षरों को चिन्हित करने में भूलें कर बैठती है. कुछ अज्ञानतावश तो कुछ कंप्‍यूटर के की बोर्ड की विस्‍त़त जानकारी के अभाववश. अधिकांश ब्‍लॉगर चाहते हुए भी हिंदी की वर्तनी की भूलों से बच नहीं पाते. फिर भी हमारा प्रयास व्‍याकरण के अनुशासन में रहकर लेखन को विकसित करना होना चाहिये. संभव है इसमें कई त्रुटियां हो, लेकिन उसे समझने का भी प्रयास करना होगा. उदाहरण के लिए सिर्फ पूर्णविराम की गलतियों से कैसी हास्‍यास्‍पद स्थिति पैदा हो सकती है इसकी बानगी पर जरा गौर करें.

एक गांव में एक स्त्री थी । उसके पति यूनिक कंप्‍यूटर सेंटर मे कार्यरत थे । वह आपने पति को पत्र लिखना चाहती थी पर अल्पशिक्षित होने के कारण उसे यह पता नहीं था कि पूर्णविराम कहां लगेगा । इसीलिये उसका जहां मन करता था वहीं पूर्णविराम लगा देती थी ।उसने चिट्टी इस प्रकार लिखी--------मेरे प्यारे जीवनसाथी मेरा प्रणाम आपके चरणो मे । आप ने अभी तक चिट्टी नहीं लिखी मेरी सहेली कॊ । नौकरी मिल गयी है हमारी गाय को । बछडा दिया है दादाजी ने । शराब की लत लगा ली है मैने । तुमको बहुत खत लिखे पर तुम नहीं आये कुत्ते के बच्चे । भेडीया खा गया दो महीने का राशन । छुट्टी पर आते समय ले आना एक खुबसुरत औरत । मेरी सहेली बन गई है । और इस समय टीवी पर गाना गा रही है हमारी बकरी । बेच दी गयी है तुम्हारी मां । तुमको बहुत याद कर रही है एक पडोसन । हमें बहुत तंग करती है तुम्हारी बहन । सिर दर्द मे लेटी है तुम्हरी पत्नी .

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