Saturday, January 30, 2010

कैसे हैं जनाब, थ्री इडियट से क्या हुई मुलाकात

सडक पर, रस्ते में, राजनीति में ,पत्रकारिता में हर जगह आपको थ्री क्या फोर, फाइव, सिक्स इडियट मिलते होंगे, लेकिन उनसे आपने क्या कभी कुछ सिखने की कोशिश की। आइये परदे पर थ्री इडियट हमें कुछ बता रहा हैं उसे जानने की कोशिश करते हैं। यह सही हैं की कैरियर को लेकर दिल की बाते सुनने की बाते, खास कर गुरुकुल के जमाने में बच्चो को उनके अनुरूप वातावरण उपलब्ध करा कर उनकी प्रतिभा में निखार लाया जाता था। इन्हें हम योग की भाति ही भूल गये थे, जिसकी याद बाबा रामदेव जी ने कराया हैं। हमारी नई पीढ़ी को भूलने की आदत होती जा रही हैं। मै कई ऐसे बच्चो को जानता हु जिन्हें टीवी पर दिखने वाले हिरन और बकरी में विशेष अंतर समझ नहीं आता। गाँधीजी के योगदान तो छोड़ दे, उनकी खिचाई करते किशोर व युवा मिल जाते हैं। दिल की सुनने वाले इडियट, आवारा, दीवाना कहे जाते हैं। नई लकीर खीचने वाले को अपनी वजह साबित करने में लम्बा वक्त लग जाता हैं.

Monday, January 11, 2010

नव वर्ष नूतन सन्देश

आज हम जो भी सोचते हो, कल जरुरी नहीं वैसा ही हो। जीवन की नयी प्रणाली, नई विधा विकसित करने का अवसर हो, जीवन को अपने निर्धारित लछय की ओर ले जाने का इरादा हो तो हम जरूर कामयाब हो सकते हैं। क्या हम बेहतर भारत का निर्माण नहीं कर सकते हैं। आइये, बेहतर समाज के निर्माण में हम अपना योगदान दे सके, ऐसा कुछ करे। मानसिक रूप से विकलांग हो चुके लोगो के प्रति संवेदना रखते हुए कुछ नया करे.