Wednesday, September 28, 2011

नवरात्र का शुभारम्भ, बुराइयों का हो सर्वनास

आज से अश्विन मास की नवरात्र का शुभारम्भ हो गया। माँ दुर्गा सब की मनोकामना पूर्ण करे, बुराइयों का सर्वनास हो। माँ की आराधना के अवसर पर हम २ जी घोटाला, कॉमनवेल्थ गेम्स घोटाला, शहीदों के नाम पर बनने वाले आदर्श सोसायटी में घोटाला इत्यादि से मुक्ति का संकल्प ले। भारत माता के मान-सम्मान और मर्यादा को ह्रदय में स्थान देते हुए , राष्ट्र प्रेम का अलख जगाये। मशहुर उक्ति हैं कि कफन में जेब नहीं होती, फिर यह धन लिप्सा आखिर क्यों, दुसरो के अमन चैन को लुट कर एसी में साउंड स्लिप का प्रयास क्यों । अपने पूर्वजो को याद करे, कैसे अंग्रेजी दस्ता के बीच आनंद मठ के रचयिता बकिम चन्द्र चटर्जी ने जननी जन्मभूमि की वंदना माँ भवानी के रूप में की हैं। इस मिथ्या जगत में निवास करते हुए क्या जन्मभूमि के प्रति कृतज्ञता ब्यक्त नहीं की जा सकती। जिस भूमि ने पीने को जल दिया, खाने को फल फूल दिए, जिसकी आगोश में विश्राम किये, जिसने छाती भर श्वास लेने को शुद्ध वायु प्रदान किये , क्या हम इतने कृत्घन हैं, उसे अपना प्यार व स्नेह भी नहीं दे सकते, उसे प्रदुषित करते रहे , उसकी चिंता करने की जगह, उसकी संपदा का सार्वजनिक उपयोग करने की जगह हम लुट खसोट में जुटे हैं , जेल जाने को शान समझ बैठे हैं। बाजार की हवा ने सब कुछ बिकाऊ बना दिया हैं। माँ दुर्गा हम सब को सदबुधि दे, स्त्रियों का सम्मान हो, स्त्रिया अपनी मर्यादा का उल्लंघन न करे। बच्चे अनुशासित व संस्कार युक्त बने। सिर्फ नुकसान के भय से पूजा या आराधना करना अपने आप को संतुष्ट करने का थोथा प्रयास हैं । आये हम सर्वजन हिताय , सर्वजन सुखाय की मंगल कामना से पूजनोत्सव में शामिल हो.........