Saturday, October 31, 2009

कांग्रेस की सफलता और बीजेपी खस्ताहाल

राहुल गाँधी ने जबरदस्त चुनावी प्रबंधन किया, कांग्रेस को खेमेबाजी से बचाते हुए राज्यों को विकास के सपनो से जोड़ा। हालत उनके लिए भी कम मेहनत व जद्दोजहद वाला नही था। भारतीय जनता पार्टी ने मौका गवा दिया। उनकी आपसी फूट व कलह ने तीन राज्यों के चुनाव में पहले ही कांग्रेस को वाक ओवर दे दिया । पार्टी विथ डिफ़रेंस की छवि धूमिल होती जा रही है। कांग्रेस के वंशवाद, परिवारवाद, सत्तालोलुपता के विरूद्व धारदार अभियान चलाने में नाकाम रहे भाजपा नेतृत्व को अपनी अपनी कुर्सी की ही पड़ी थी। संघ नेतृत्व के प्रति आस्था जताने वालो ,उनसे सर्जरी की मांग करने वालो, जसवंत प्रकरण पर अपनी बेचैनी प्रदर्शित करने वालो की कोई कमी पार्टी में नही रही। बिना मजबूत विपछ के सत्ता व शासन में रहने वाली सरकार का नजरिया जनता के प्रति कैसी हो सकती है, इसकी उम्मीद पाठक कर सकते है। कांग्रेस ने बड़ी सोच समझ कर खासकर मुबई में राज ठाकरे को पुष्पित पल्वित होने दिया। शिव सेना के बड़बोले पण की हवा निकाल दी। आरुनाचल में कांग्रेस की सफलता लगभग तय थी। उतर पूर्वी राज्यों की और देश की शेष दछिन पंथी पार्टियों के बीच अब भी दुरी बनी हुई है। यह खतरनाक स्थिति है। वाम पंथी नक्सली संगठनो द्वारा नेपाल से बिहार, उडीसा होते हुए आन्ध्र प्रदेश तक बनाया गया रेड कारीडोर भारतीय एकता व अखंडता के लिए गंभीर चुनौती है। राजनीतिक दल खास कर राष्ट्रीय पार्टिया आपसी खीचतान में न उलझ कर राष्ट्रीय समस्याओ के प्रति गंभीर हो तो कोई बात बने। जिस देश में लाखो गरीबो के घर बच्चो को अब भी भर पेट भोजन नही मिल पा रहा हो वंहा आपसी फुट व अंतर्कलह से आख़िर हम किसे मुर्ख बनाते है। कलयुग में दरिद्रनारायण के घर ही नारायण का अवतार होने वाला है। जो सही मायनो में हमारा पथ प्रदर्शक, दुखो को हरने वाला होगा। हमारी गति मति यह है की हम इन्हे ह्रदय से लगाते चले। याद रखे की इस देश में कितने बादशाओ , शहंशाओ को इतिहास ने अपने पैरो तले कुचल दिया है। आपकी सारी नफरते, क्रोध, बेईमानी धरी की धरी रह जाएँगी। अपने साथ समाज व समुदाय का भला नही सोचने वालो का जीवन व्यर्थ ही है।