Friday, August 8, 2008
08/08/08 का चक्कर व मीडिया
हद हो गयी, अब बस भी करो, ये क्या है आम आदमी के बीच ज्ञान बांटा जा रहा है या हमारे मनीषियों, साधकों द्वारा वर्षो साधना कर प्राप्त किये गये ज्योति षय ज्ञान का बंटाधार किया जा रहा है. शाम होते ही हमारे घूमंतु मित्रों ने जाने कहां कहां से चक्रवर्ती ज्ञानियों को पकडकर ले आये, और शुरू होगयी बहस 08/08/08 के समान अंकों के कारण ये होगा, आप ये न करे, आप वो न करे, मानो कयामत टूट पडने वाली हो. ज्ञान को भय का साधन न बनाओं, अब बस भी करो. माना कि भारत भूमि ज्ञानियों से अटी पडी है, ज्यादातर लोग पढे से ज्यादा सुने पर विश्वास करते है, जब आप ब्राह़ांड की घूमती तस्वीर के साथ अनर्गल बातें बतायेंगे तो लोगों का दिमाग चक्कर में पडेगा ही. ऐसी बात नही कि ये सभी ज्ञान व जानकारियां सिर्फ विद्वतजनों के लिए ही सुरक्षित रहनी चाहिये, हम तो कहते है इसे सब को जानना चाहिये, किंतू क्या इस तरह से भय व मानसिक विक़तियों को परोश कर. बहुत अच्छा लगा जब किसी ने देश के प्रसिद्व ज्योितषविद बेजान दारूवाला से चंद मिनटों की बातें लगे हाथ कर ली. उन्होने बिल्कुल स्पष्ट कहा कि बेखौफ होकर,ईमानदारी पूर्वक अपना कार्य करें,घबराने की कोई जरूरत नहीं है. उन्होने कहा कि इस अंक के कमाल से भयभीत होने की कोई जरूरत नहीं है, भय हो तो मात्र दस फीसदी. किसी बात को बिना समय गवायें लपक लेने वाली मीडिया बस यही आकर गच्चा खा जाती है, किसी व्यक्ति के जीवन में जितनी महता प्रेम की है, उतनी ही भय की भी. नमक का प्रयोग तो खाने में अवश्य होता है किंतू ज्यादा नमक युक्त भोज्य पदार्थ किस प्रकार उच्च रक्तचाप को निमंत्रण देता है इसका भी ख्याल रखना चाहिये. देश के सभी विजुअल चैनल जब एक साथ एक वि षय पर लगातार हाय तौबा करने लगे तो अचानक यह बात समझ से परे हो जाती है कि आखिर इस वि शेष ज्ञान का क्या मतलब है. देश में कई समस्याएं है. जम्मू कश्मीर भूमि के मामले को लेकर जल रहा है, विभिन्न प्रदेशों में आतंकी घटनाएं बढ गयी है. राजनीतिक दल अपने अपने स्वार्थो में लिप्त है. मंहगाई की मार से आम आदमी की कमर टूट रही है. पडोसी हमारी गतिविधियों पर नजर गडाए बैठा है, हम है कि इनसे दूर ग्रहों के मिलने व उसके परि णाम को लेकर चितिंत है. इस चिंता को दूर करने के साधन होने चाहिये किंतू इसका खुलासा ऐसे तो न हो कि आम आदमी भय के मारे अधमरा हो जाये.
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