Saturday, November 8, 2008

टिप्‍पणी के लिए धन्‍यवाद

समाज में,साहित्‍य में, साहित्‍य के मंच पर जो कुछ घटता है उसे अपने नजरिये से मैने सामने रखा. निसंदेह उनपर अलग अलग टिप्‍पणियां होगी. जहां तक एक टिप्‍पणी कर्ता द्वारा उठाये गये प्रश्‍न की बात है, इतना निश्चित जानिये कि सबका अपने दायरे में काम करना ही अच्‍छा लगता है. आप किसानी बेहतर करते हो, साथ ही आपसे उम्‍मीद की जायें कि आप सेटेलाइट के भी ज्ञाता हो यह मुश्किल है. मैने कथाकार की पीडा को अभिव्‍यक्‍त करने का प्रयास किया. अब आगे बढने वाले सह़दय लोगों के हाथों से उम्‍मीद बनती है कि वे ऐसा कुछ करें ताकि कथाकार महोदय अपने कष्‍टों से उबर सकें. मेरा आशय किसी एक का कथाकार का नही ऐसे कई विद्वान व आचार्य धक्‍के खाते फिर रहे है उनकी नोटिस तक नही ली जा रही,पहले उन्‍हें नोटिस में लाना जरूरी हैं. क़पया इसमें कोताही नहीं की जानी चाहिये.

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