Tuesday, February 9, 2010

कांग्रेस की दोहरी नीति

देश के नीति नियंताओ की समझ और उनके निर्णय को लेकर आम जनता को हमेशा गफलत में डाला जाता रहा हैं। खासकर कांग्रेस की अदूरदर्शी नीतियों के कारण यह समझ पाना मुश्किल हैं की वो कब लॉंग प्लानिग के तहत देश को विभाजित करती तो कभी राष्ट्रवाद की पछधर हो जाती महसूस होती हैं। मनसे को मुबई में सर उठाने का मौका देना फिर उसका दुरपयोग करते हुए शिवसेना व् भाजपा को चुनावी शिकस्त देना, फिर लगे हाथ शिवसेना को उसकी औकात उसके ही गढ़ में बता देना, कोई कांग्रेस से सीखे। यह तो उपराष्ट्रवाद को नियंत्रित करने की कवायद थी लेकिन एक वर्ष में महंगाई को लेकर पुरे देश में जो अफरातफरी मची हैं, क्या अमीर और गरीब सब उससे पीड़ित हैं। कांग्रेस राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी और शरद पवार एंड कंपनी को पहले तो बचने का मौका दे रही हैं, लगता हैं फिर उसका दिन फिरने वाला हैं । सचेत हो जाये शरद जी, जनता को बरगलाने की कोशिश न करे , सुगर फ्री फुड की आदत न डलवाए। पंजाब में आतंकी घटनाये हो या कश्मीर में, नार्थ ईस्ट की बात हो या महाराष्ट्र की उप राष्ट्रवाद की बलवती होती भावनाओ को बलपूर्वक कुचला जाना जरुरी हैं।राज्यों के अन्दर छोटे राज्यों के निर्माण की कई लोग वकालत करते हैं, ठीक हैं लेकिन जरा यह भी तो समझे की क्या इसी प्रकार के राजनितिक विजन व नौकरशाही को लेकर विकास के पथ पर आगे जाया जा सकता हैं। ---

1 comment:

पी.सी.गोदियाल "परचेत" said...

सटीक, मेरी पूरा समर्थन आपके लेख को !