Thursday, September 2, 2010
नक्सलियों को उकसाना बंद करे, हिंसा नहीं समाधान
गरीबी भुखमरी से जूझती जनता को नक्सलवाद का सहारा मिल रहा हैं, वे कोई उनकी भूख नहीं मिटा रहे न ही कोई स्थाई रोजगार के अवसर पैदा कर रहे लेकिन उनमे यह उम्मीद जगाए रखते हैं। उम्मीद भूख को समाप्त करने की , बेरोजगारी मिटाने की , जल , जमीं और जंगल के ऊपर उनके अधिकार दिलाने की । उनके बच्चो और महिलाओ को स्वास्थ्य की सुविधाए दिलाने की। वे आदिवासियों में कोई बैज्ञानिक पैदा नहीं करना चाहते । विधानसभाओ और लोक सभा में उनके समर्थक पहुचे हुए हैं , लेकिन वे भी अपने को लाचार महसूस कर रहे हैं। कई नेता तो अपने बच्चो को विदेशो में या कॉन्वेंट स्कुलो में पढ़ा रहे हैं लेकिन गरीबो को मरने मरने के लिए तैयार कर रखा हैं । केंद्र या राज्य सरकारों को इन्हें उकसाने वाली कार्यो से बचना चाहिए, भटके हुए लाचार लोगो को शेयर की जरुरत होती हैं, सरकारे हिंसा के लिए प्रेरित करने वालो के खिलाफ कड़ी करवाई करे , साथ ही साथ नक्सल प्रभावित इलाकों में बड़े स्तर पर राहत व पुनर्वास कार्यकर्म संचालित करे । बिहार में ४ दिनों से नक्सलियों ने कोहराम मचा रखा हैं , उन्हें कई बार सरकारों की ओर से सही जबाब नहीं मिल पा रहा हैं। निर्णय करने वाले स्थिति पर नजर रखे हैं लेकिन कुछ नहीं हो रहा हैं । वे चार पुलिस कर्मियों को बंधक बना रखा हैं , दूसरी ओर ७ को अबतक मार चुके हैं । हिंसा के रास्ते समाधान निकलना संभव नहीं हैं।
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