Thursday, August 19, 2010
छोटे शहरो में कॉमनवेल्थ गेम की चर्चा
दिल्ली से मिडिया में छन छन कर आ रही ख़बरे कॉमनवेल्थ की तैयारी और उससे जुडी सच्चाई को बया कर रही हैं , छोटे शहरो में उत्सुकता बढ़ा रही हैं, देश की प्रतिष्ठा दाव पर लगी हैं, चर्चाओ का बाजार गर्म हैं, कौन मॉल बना रहा हैं, कौन विज्ञापन को लेकर अपने हाथ खीच रहा हैं, शीला जी परेशान हैं, देश की निगाहे दिल्ली दरबार पर टिकी हैं । मिडिया की खबरों को दरकिनार करते हुए तैयारी अपने अंतिम चरण में हैं। भोजपुर जिले का मुख्यालय हैं आरा। यहाँ का एक नवयुवक प्रशांत जो दिल्ली से लौटा हैं, कहता हैं " दिल्ली में खेल के मैदानों , सडको को दुरुश्त किया जा रहा हैं लेकिन स्तर बेहद घटिया हैं। दिल्ली वासियों को फुरशत नहीं कि वे उसकी सामाजिक निगरानी करे। " यह सही हैं कि अपने यहाँ राष्ट्रीय गौरव कि भावना किसी खास तैयारी के दौरान देखने को नहीं मिलती। छोटे शहर इससे तब ज्यादा जुडेगे जब "विज्ञापन युद्ध" शुरू होगा। कॉमन वेल्थ ko darshne wale ti shirt व अन्य दैनिक उपयोग कि सामग्रियों का बाजार सजने लगेगा। ग्रामीण इलाके के बच्चे टीवी में आँखों को चौंधियाती रौशनी में अपने खेल के मैदानों कि तुलना करेंगे । मछली पकड़ने वाले, गाय चराने वाले युवको कि टोली घास के मैदानों पर उधम मचाएगी। क्या हम पडोसी देश चीन से किसी भी खेल आयोजनों की तैयारी की सिख नहीं ले सकते। विश्व के सबसे युवा देश भरते के युवाओ को उससे संबध नहीं कर सकते । क्यों बड़े कार्पोरेट घरानों के ऊपर निर्भर हो कर हम अपनी प्रतिष्ठा को ठोकर मरने पर तुले हैं । कई बार राजनेता नहीं समझते की यह चुनाव की तैयारी नहीं और न ही कोई बच्चो का खेल हैं ........
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