Thursday, September 30, 2010
अयोध्या विवाद के निपटारे की अदालती पहल
अयोध्या विवाद को लेकर इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ खंडपीठ द्वारा आज सुनाये गए ऐतिहासिक फैसले पर पूरी दुनिया की निगाह टिकी थी, सभी राजनितिक डालो की सांसे अटकी थीठीक ३-३० बजे से न्यायालय ने अपना फैसला सुनना शुरू कर दिया। मिडिया की बेचैनी बढती जा रही थी। घरो व दुकानों में जिसे जहा जगह मिली टीवी व रेडियो से चिपका रहा । अदालत ने अपना फैसला सुना दिया। बिहार विधान सभा चुनाव के बीच इस मामले ने बिहार की राजनितिक तपिस को बढ़ा दिया था । मै सीधे वयोवृध इतिहासकार रामशरण शर्मा के घर पंहुचा। ९३ साल के हो चुके शर्मा जी ने अपने संस्मरण सुनाये। कहा की अदालत के बाहर फैसला होना चाहिए था। इतिहास ने कोई भूल नहीं की हैं । मंदिर व मस्जिद के बीच दुरी का कम होना ही विवाद का मूल कारण हैं । क्या हम अदालत के बाहर मामला नहीं सुलझा सकते, हमारी आपसी समझ इतनी कम होती जा रही हैं । अदालत ने पूरी जमीं को तिन हिस्सों में बाट दिया हैं। रामलला को भी भूमि का मालिकाना हक़ दिया हैं। धन्य हैं भारत भूमि .
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