Saturday, September 18, 2010

चुनाव का बजा बिगुल, नेताओ के घात-प्रतिघात शुरू ,जनता गई तेल में

बिहार विधान सभा चुनाव -२०१० का बिगुल बज गया हैं , भारत निर्वाचन आयोग ने चुनाव की तिथि निर्धारित कर दी हैं , २७ सितम्बर को पहले चरण के लिए नामांकन की प्रक्रिया शुरू होगी, इधर नेताओ के घात - प्रतिघात का दौर शुरू हो चूका हैं । कांग्रेस ने राहुल गाँधी को अपनी मुहीम में लगा दिया हैं , तो दूसरी ओर लालू-पासवान की दोस्ती परवान चढ़ रही हैं। विकास - विकास दर में वृद्धि की राग अलापते नितीश कुमार और सुशिल कुमार मोदी , जनता दल यु - भाजपा गठबंधन अपनी दूसरी पारी खेलने के लिए तैयार हैं। भाजपा - जदयू में जहा नरेन्द्र मोदी के चुनावी सभाओ के आयोजन को लेकर हाय - तौबा मची हैं , तो लालू - पासवान को अपने गर्दिश के दिनों से उबरने के लिए एक सुनहरा मौका सा मिल गया हैं, वे बिहार को विकास की नई डगर पर ले जाने की घोषणा करते फिर रहे हैं। लालू ने तो अपनी पत्नी व् पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवे को जहा साइड लाइन पर रख दिया हैं और रामविलास पासवान के छोटे भाई व् विधायक पशुपति कुमार पारस को उप मुख्यमंत्री के बतौर स्वीकार कर लिया हैं , उससे भविष्य की कल्पना की जा सकती हैं। पांच वर्षो के एनडीए शासन में विरोधी दल की ठीक से भूमिका नहीं निभा सकने वाली राजद लोजपा को अब आम जनता की चिंता सताने लगी हैं। कांग्रेस की स्थिति मजबूत होने से बिहार चुनाव एक रोमांचक दौर में पहुच गया हैं। बिहार में बदलाव के कई दौर अभी आने शेष हैं लेकिन मौजूदा राजनीतिक स्तिथि में ऐसी कलप्ना करना कोरी मुर्खता होगी । आम अवाम के दुखो की चिंता में कोई शामिल नहीं हैं । रोजगार की तलाश में पलायन जरी हैं , पढ़ाई की समुचित व्यवस्था नहीं हैं , इलाज के लिए बड़े शहरो का चक्कर लगाना पड़ता हैं । कल कारखाने , बिजली की उपलब्धता नहीं हैं, प्राकृतिक आपदा राजनीती चमकाने का जरिया मात्र बन गयी हैं .

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