Saturday, August 7, 2010
कैसे हो दिल की बतिया
आदमी कैसे करे दिल की बतिया। कैसे सेलिब्रिटी करते हैं अपने दिल की बाते। क्या उसमे दिल के किसी कोने की सच्चाई रहती हैं। कई बार लगा की वो सिर्फ मतलब की बाते करते हैं। क्या अंग्रेगी लेखको की तरह हिंदी लेखक अपने प्रति इतने इमानदार रहते हैं। साफगोई क्या हिंदी वालो की जुबान में नहीं होता, हिंदी पत्रकारिता को क्या अभी अपने ईमानदारी की परख करनी बाकि हैं। कई इसे दिल्लगी समझ सकते हैं लेकिन हैं यह सच्चाई । हमारे अख़बार हो या हिंदी न्यूज़ चैनल हिंदी भाषियों की आत्मा को पकड़ पाने में विफल हैं। निहायत ही बेबकूफाना अंदाज होता हैं हिंदी पट्टी वालो का । वे जानना चाहते हैं पूरी तफसील से । उनकी इच्छा इसमें नहीं की कौन कितना बड़ा बेवकूफ हैं वे जानना चाहते हैं की कौन उनका आदर्श हो सकता हैं। सच पूछे तो यह भारत की आत्मा की पुकार हैं। हमारे आदर्श क्या नरेन्द्र मोदी हो सकते हैं, क्या राज ठाकरे जैसा कोई शख्श हो सकता हैं , कदापि नहीं । हमारा आदर्श महात्मा गाँधी , लता मंगेशकर, अमिताभ बच्चन, सचिन तेंदुलकर, रतन टाटा हो सकते हैं । इन्होने अपने जीवन में आदर्श स्थापित किया हैं । क्या आप इन्हें पहचानते हैं ।
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