Saturday, April 10, 2010

नक्सलवाद से निबटने को तैयार हो देश

नक्सलवाद की भीषण समस्या से निबटने के लिए देश के हरेक नागरिक को तैयार होना चाहिए। यह आयातित विचारधारा देश को घुन की तरह चाट रहा हैं। हमें यह सोचना होगा की आखिर भूख व् गरीबी से निबटने की जगह आखिर कबतक देश के अन्दर सामाजिक बदलाव की हिंसक प्रवृति को झेलते रहेंगे। क्या इस देश ने बिनोबा के भूदान से सीख नहीं ली जब बड़े बड़े भूपतियो ने अपने गरीब भूमिहीन भाइयो के लिए सहर्ष भूमि का दान कर दिया। यह बेहद शर्मनाक हैं की अभी तक कई राज्यों में उन भूमियो का सही तरीके से वितरण तक नहीं किया गया। बिहार के राजनितिक इतिहास में एक वह भी घटना दर्ज हैं की कैसे स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद एक स्वतंत्रता सेनानी ने अतरिक्त भूमि पर अपने संघर्ष की दुहाई देते हुए कब्ज़ा करने का पहला हक़ करार दिया। सरकारी योजनाओ में मची लूटपाट की, गरीबो की हकमारी की लम्बी दस्ता हैं । आज नक्सलवाद स्वय में भस्मासुर बन चूका हैं। गरीबो की हक़ की बात करते हुए , उन इलाको के बच्चो की स्कुल भवनों को उड़ने में लगा हैं। कैसे स्वयं सहायता समूह के नाम पर माइक्रो वितीय प्रोग्राम किसानो को आत्महत्या पर मजबूर किये हुए हैं इस पर भी विचार करने की जरुरत हैं। थोडा ठहर कर सोचे मासूम बच्चो को हथियार उठाकर अपने ही देश की पुलिस से वे संघर्ष कर रहे हैं। उनके खून के प्यासे बने हुए हैं। राह से भटके अपने देश वासियों को मुख्यधारा में लाने के लिए हमें हर संभव उपाय करना होगा। नितीश कुमार की यह टिपण्णी की गृह मंत्री पी चिदम्बरम को काम ज्यादा बाते कम करना चाहिए, बेतुका सलाह हैं। वे नक्सल इलाको में जिस प्रकार से सबको लुट में हिस्सेदार बनाकर अपनी इमेज बिल्डिग में लगे हैं वह शोभा नहीं देता। न तो उन इलाको में सड़क पहुची हैं न ही कोई रोजगार के साधन व् अवसर उपलब्ध कार्य गए हैं। बिजली तो पुरे बिहार की समस्या हैं। यह ठीक ही हुआ की मिस्टर चिदंबरम के इस्तीफे की पेशकश को प्रधान मंत्री ने ठुकरा दिया। नितीश कुमार का यह कहना की कानून तोड़ने पर उनपर कारवाई हो, बेतुकी बात हैं। हमें हथियार के बल पर उनके दादागिरी को तोडना होगा। साथ ही साथ उनके दिलो को भी जितने का कार्य करना होगा। जखम बहुत गहरा हैं, जरा संभल कर निर्णय करे।

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