Saturday, March 27, 2010

भारत के समुज्ज्वल भविष्य के लिए शक्ति संग्रह जरुरी

भारतीय राष्ट्रीय चेतना के विकास के लिए शक्ति का संग्रह करना जरुरी हैं। एक सबल राष्ट्र ही विश्व में अपने सर को ऊँचा उठाकर कर चल सकता हैं। भारत के कण कण में आध्यत्मिक शक्तिया निवास करती हैं। हम अपनी सुसुप्त शक्तियों को जागृत करके एक सबल व् सुदृढ़ राष्ट्र का निर्माण कर सकते हैं। इसके लिए प्रत्येक भारतीय को अपने देश के प्रति अपनी निगाहों में ऊँचा उठाना होगा। हमें छोटी छोटी छुद्र भावनाओ का तिरस्कार करना होगा । क्या हम एक संप्रभु देश में निवास नहीं करते हैं। क्या देश की अचछी बातो से जुड़ने का मतलब कुछ और हो जाना हैं। आखिर कब तक हम जाति धर्म व् दलों व् कुनबो में बटे रहेंगे। आज कौन ऐसा हैं जिसे अपने देश से मतलब नहीं हैं, कौन इससे अपने को ज्यादा महान समझता हैं। जो ऐसा समझते हैं वो भूल रहे हैं की उनके न जाने कितने पूर्वज इसी धरती के नीचे दफन किये जा चुके हैं, उनकी मिटटी मिटटी में मिल चुकी हैं। एक गिलहरी, गौरया, नदिया सभी इससे जन्म लेते हैं, फिर विलुप्त हो जाते हैं। थोड़ी सी असावधानी आपके साथ इस देश को भी खतरे में डाल सकती हैं । जापान से सीखे कैसे शक्ति संवर्धन की जा सकती हैं। कैसे अपने देश को समृद्ध व् सुसंगठित बनाया जा सकता हैं।

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