Monday, June 8, 2009

टिपण्णी करने में संयमता का अभाव

बहुत दुखद बात हैं लेखन की स्वतंत्रता ने ब्लोगरो को उच्च्श्रीन्ख्ल बना दिया हैं । खास कर विषय की गंभीरता को समझे बिना ही टिपण्णी तक कर दी जाती हैं । ऐसे लोगो को अपने आसपास नजर दौड़नी चाहिए । टिपण्णी सकारात्मक हो विषय को स्पस्ट करने में सहायक हो तो बात समझ में आती हैं ।

5 comments:

पी.सी.गोदियाल "परचेत" said...

मिश्र जी, आपने एक ऐसा टोपिक छेड़ दिया कि अब यहाँ पर ब्लॉगर लोग आपको टिप्पणी नहीं देंगे ! कोई आपके लेख को पढेगा भी नहीं ! क्योंकि यहाँ पर टिपण्णी इस लिए नहीं दी जाती कि आपने अच्छा अथवा गन्दा लेख लिखा है और उसको पढने के बाद वे टिपण्णी लिख रहे है टिपण्णी सिर्फ इसलिए दी जाती है ताकि आप भे उनके ब्लॉग में जाकर टिपण्णी दे सको, चाहे आपकी समझ में उनका लिखा हुआ आये अथवा नहीं! यही धंधा फल फूल रहा है

पी.सी.गोदियाल "परचेत" said...

मिश्र जी, आपने एक ऐसा टोपिक छेड़ दिया कि अब यहाँ पर ब्लॉगर लोग आपको टिप्पणी नहीं देंगे ! कोई आपके लेख को पढेगा भी नहीं ! क्योंकि यहाँ पर टिपण्णी इस लिए नहीं दी जाती कि आपने अच्छा अथवा गन्दा लेख लिखा है और उसको पढने के बाद वे टिपण्णी लिख रहे है टिपण्णी सिर्फ इसलिए दी जाती है ताकि आप भे उनके ब्लॉग में जाकर टिपण्णी दे सको, चाहे आपकी समझ में उनका लिखा हुआ आये अथवा नहीं! यही धंधा फल फूल रहा है

गिरिजेश राव, Girijesh Rao said...

श्रीमन
आप ने बहुत ही सामयिक बात छेड़ी है। इतना ही नहीं, समझ बूझ कर भी लोग नासमझी करते हैं ताकि हिट्स बढ़ॆं।

वर्तनी सुधार:

टिपण्णी - टिप्पणी
संयमता - संयम

admin said...

हम तो हमेशा इसका ख्याल करते हैं।
आपको कोई बात बुरी लगी क्या।
-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secretary-TSALIIM & SBAI }

परमजीत सिहँ बाली said...

ऐसा कई बार होता है कि जैसी टिप्पणीयों की हम उम्मीद करते हैं वैसी नही आती। लेकिन इस कारण दुखी होने की आवश्यकता नही है।आप निरन्तर लिखते रहें।