Saturday, June 6, 2009
गरीबो की सुनो वो तुम्हरी सुनेगा
सर्व प्रथम बहुत दिनों बाद ब्लॉग पर आने के लिए माफी चाहता हु। मारकेश के प्रभाव से गुजरने का ताजा अनुभव हुआ है। लोकसभा चुनाव की भागमभाग अलग रही। कई विचारो के बीच से गुजरता रहा। काफी कुछ जीवन में अनुभव हुआ। फिलवक्त सरकारी तंत्रों के क्रिया कलाप की चर्चा करूँगा। अकसर ही हमारे द्वारा चुनी गई सरकारे अजीबो गरीब प्रथामिक्ताये तय करती है । शहरों के लिए बिजली पानी आवास की जुगाड़ सरकार करे हम अपने अपने कामो में दौलत अर्जित करने में लगे रहे । देहातो में अवश्यक सुविधाओ के लिए लोग तरस जाए । गावो के विकास की बात होती है तो कहा जाता है की वहा सुविधाओ के विकाश के लिए स्वयं सहायता समूहों का गठन किया जा रहा है। गाव के लोग स्वयं ही अपनी सुविधाओ की देख रेख करेंगे। शहरो के लिए कर्मचारियों की फौज हो और गाव के लोग अपनी देखभाल ख़ुद करे। यह कैसा विकास है।
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
2 comments:
waise n bhi aate to koi phrk nahi padta
AAP KAHA RAHTE HO?
AAP KO KYA KARNA H, WO KARO?
U HI MAT ULCHHO AUR UKSAO.
Post a Comment