Saturday, August 11, 2018

जीवन पथ पर आत्मावलोकन

जीवन चक्र घूमता है तो घूमता चला जाता है, तब आपके पास न तो हाथ में ब्रेक होता है और न ही हार्न जो मार्ग को निष्कंटक बनाने में सहायक हो। सर पर हैलमेट न होने से खतरा और भी बढ़ जाता है। जीवन में कई ऐसे अवसर आते है, जहां आपको सब कुछ छोड़ कर आगे बढ़ जाना होता है, आगे खाई है या ऊंचे पहाड़ बस, चलते जाना है। इसी क्रम में आज अपने पुराने ब्लॉग से सामना हो गया। कई पुराने बीते पल याद आ गए।

छह वर्षो के बाद इस ब्लॉग पर आना हुआ। फुर्सत के पलों के अभाव में भी रचनाक्रम से जो मानसिक संतुष्टि मिलती थी, वो कहीं गुम हो चुकी थी। सिर्फ आगे बढने के जुनून में आत्म संतुष्टि प्रदान करने वाली रचनाधर्मिता का पुन: हासिल होना, बेहद रोमांचित करने वाला पल बन जाता है। यह पल संजोए जाने योग्य है। 

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