Wednesday, June 30, 2010
भूमि सुधार के मुद्दे पर बिहारी राजनीति असमंजस में
बिहार में विधान सभा चुनाव होना हैं, इसके लिए विभिन्न दलों के रणनीतिकार अपने दिमागों पर बल डालना शुरू कर चुके हैं। कोई भी प्रमुख राजनीतिक दल जहा भूमि सुधार के मुद्दे को उठाने से घबरा रहे हैं वही जन संगठनो व् वामपंथी दलों द्वारा इसे जोर शोर से उठाया जा रहा हैं। बिहारी राजनीति में भाजपा और जनता दल उ पहले ही इस मुद्दे पर अपनी हाथ जला चुकी हैं। किसी में इतनी ताकत नहीं दिख रही की वो भूमि सुधार के मुद्दे पर जनता का मत प्राप्त करे या कोई नयी दिशा में बढ़ सके। हद तो यह हैं की बिहार में भूमि के रिकार्ड का रख रखाव की स्थिति बेहद दयनीय हैं। भूदान के जमीनों का अधिकांश जिलो में कोई रिकोर्ड नहीं हैं, कई जमीनों को सर्वे के दौरान उलट पुलट कर सरकारी घोषित कर दिया गया हैं। सरकार के नियमो के तहत जमीं मालिक को स्वयं इसे साबित करना हैं। हजारो एकड़ जमीनों पर अवैध कब्ज़ा हैं। २० से ३० फीसदी खेती करने वाले दुसरो के खेत जोतते हैं। लाखो लोगो के पास रहने को घर नहीं हैं।
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