Monday, November 23, 2009

प्रतिक्रियावादियों पर कार्रवाई हो, राष्ट्रीय एकता पर कर रहे घात

बाला साहेब ठाकरे हो या राज अथवा कोई अ ब स राष्ट्रीय एकता व अखंडता से खिलवाड़ करने वालो पर कड़ी कार्रवाई होनी बहुत जरुरी है। इस प्रकार के प्रतिक्रियावादियों को बकसना खतरे से खाली नही है। भाषा, प्रान्त, जातीयता, धर्म के नाम पर राष्ट्रीय भावना ले साथ खिलवाड़ करना किसी भी सूरत से मुआफ करने योग्य नही है। कांग्रेस सरकार आग से खेलती रही है। अभी अभी सूचना मिली है की संसद की कार्रवाही के दौरान हंगामा मचा है। इंडियन एक्शप्रेस ने बाबरी मस्जिद विध्वंस की जाच के लिए गठित लिब्राहन आयोग की बंद रिपोर्ट के अंश को प्रकाशित कर दिया है। किसी भी रिपोर्ट को सदन के पटल पर रखे बिना उसकी सूचना को कैसे सरकारे लिक करती है यह सरकार की गतिविधियों की निगरानी करने वाले पत्रकार बेहतर जानते है। अपने विरोधियो पर नियंत्रण करने के लिए सत्तारूढ़ पार्टियों द्वारा किए जाने वाले कुकृत्यों पर एक सम्पूर्ण किताबे लिखी जा सकती है। सामना में समानांतर मिडिया का दुरपयोग करते हुए जिस प्रकार शिव सेना अपनी खुराफातो का इजहार कर रही है, उस पर प्रेस कोंसिल ऑफ़ इंडिया को भी कड़ा रूख अपनाना चाहिए। कभी सचिन तेंदुलकर तो कभी किसी को निशाना बनाने वाले को सबक सिखाने की जरुरत है। सत्ता जिस प्रकार अपने साधनों का दुरपयोग करती है इस पर विचार करने की जरुरत है । जिस देश की आधी से अधिक आबादी भूख, अशिछा,स्वस्थ्य सुविधाओ से वंचित हो वहा इस प्रकार की ओछी हरकते करने वाले को जनता अपने मताधिकार के माध्यम से सबक सिखाये। जनता को हर पल जागृत करने में युवा राष्ट्रिय्वादियो को सामने आना चाहिए। याद रखे देश के स्वाभिमान से खिलवाड़ करने वालो को इतिहास कभी माफ नही करेगा। बलिदानियों के इस देश में भारतीय मनस्विता उचतम स्तर की है, पहाड़ो की कन्दरा में निवास करने वाले, चीथडो में लिपटे रहने वाले लोगो के पास असीम उर्जा का स्रोत है। इनके ह्रदय में छिपे आग को हवा देने की हिमाकत कोई भी राजनितिक दल न करे। गरीबो की आह उन्हें ले डूबने के लिए काफी है।

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