Friday, July 24, 2009
सच का सामना कितना सच
इनदिनों बिंदास बोली, रहन सहन , फिल्म, प्रदर्शन , मिडिया के नाम पर अर्ध सत्य को सत्य बनाने की हर सम्भव कोशिश की जा रही है । एक निजी चैनल पर संचालित किए जा रहे सच का सामना शीर्षक कार्यक्रम में जी प्रकार के साक्छात्कार दिखाए जा रहे है उसे बदलती मानसिकता के नम पर परोसा जन किसी भी दृष्टी से उचित नही है। बाजार आपके घर को नंगा व् बेपर्द करता जा रहा है इसकी समझ भी रखनी होगी। सच के नम पर पोल्योग्रफिक मशीन के सहारे उलुलजुलुल प्रश्नों को रखना, उसे प्रसारित करना ग़लत है प्रवृति को बढ़ावा देना होगा। आप आखिर क्या चाहते है, सभ्य समाज की रूप रेखा आपके दिमाग में क्या है , इसे तो पहले स्पस्ट करना होगा। क्या मर्यादाओ का उलाघन ही हमारी आजादी की परिचायक है। अपने अर्ध्य सत्य को हम कबतक मशीनों के शेयर सत्य साबित करते रहेगे ।
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1 comment:
koshlendra ji lekh accha hai, lekin mai aapse pucchna chahunga ki es karyakram me kya galat dikhaya ja raha hai , aur aap kis bazar ki bat kar rahe hai kya us bazar ki jahan jane pe hame ladkiya ardh nagan ya aise parivesh me hoti hai jo ki hamare sanakriti ke viprit hai. aur hamare samaj me bacha hee kya hai jo ki brashat hoga.
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