Tuesday, August 11, 2009
पीठ पीछे वार कर रहा बाजार हमारी जेब पर
महंगाई को लेकर पुरे देश में हाय तौबा मची है। सुखा व् बाढ़ की विभीषिका से जूझ रहे लोगो के ऊपर महंगाई की मार तेज है। स्वैईन फ्लू ने अपने पाव जमने शुरू कर दिए है। मिडिया सब कुछ को हलके में ले रही है सिर्फ स्वैईन फ्लू को छोड़ कर। अपनी प्रथामिकताये तय करने मिडिया का कोई जबाब नही है। तथ्यों के पीछे न जा कर हलके में कोई बात कैसे की जाती है यह इसे वर्तमान समय में सिखा जा सकता है। जब अमेरिका, जापान सहित एनी देशो में लाखो लोग स्वैईन फ्लू से पीड़ित है और मरने वालो की संख्या कही ८५ तो कही ३०० के आसपास है। फिर भारत में इसको लेकर हाय तौबा मचाना कहा की फितरत है। शहरो में मरने वाले लोग मिडिया कोई दिख जाते है, लेकिन दूर गाव में जो भूख से मर रहे है, उन्हें प्रशासन भी रोग से मौत बता देता है। चीनी की कीमत ३२ रूपये हो गई है तो दाल आम आदमी केथाली से गायब होता जा रहा है। इथनौल के उत्पादन को लेकर पहले तो चीनी के उत्पादन पर झटका लगा, फिर बिक्री कैसे हो। हद तो यह है की बिहार जैसे सर्वाधिक गन्ना उत्पादक राज्य में भी दुसरे राज्यों की तरह धन अर्जित करने को लेकर सरकार के स्तर से ही गन्ना से सीधे इथनौल बनने की अनुमति देने की मांग की जा रही है। कई बड़ी कंपनियों ने तो हजारो करोड़ के प्रस्ताव भी दे रखा है । राज्य सरकार भी केन्द्र की ओर उम्मीद लगाये बैठी है । विकास की नीति बनाने वालो को धरती पर रह कर सोचना होगा। चीनी के बाद गुड की सोचे तो, सरकारी नीतियों की पोल ही खुल जाती है। गाव चौबारे में गुड आज की तारीख में दुर्लभ चीज हो गई है। गुड उत्पादन पर इतने तरह के प्रतिबन्ध लगा दिए गए है की कोई किसान सोचता तक नही, अगर उत्पादन करता भी है तो सिर्फ अपने उपयोग भर ही। कई खाद्य पदार्थ तो खेत खलिहानों से गायब होती जा रही है। कोई इस पर शोध करे तो कई रोचक जानकारिया प्राप्त हो सकती है। आप कविताये लिख कर या कंप्युटर चलाकर ही अपने पेट नही भर सकते, हमें अपने अन्दताओ की ख़बर रखनी ही होगी।
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